आज के चांद में कितने चेहरे है
जो तेरे है और मेरे है
देखने वाले तो अजीज है
हमारे दिल के करीब है
जिंदगी जिन के नाम है
सांसो पर भी उनका ही हक है
कहीं आंगन तो कहीं छत पर चढ़कर
चांद को देखती और अपना अपना मानकर बैठी
मेरी प्रेयसी,
छलनी के छेदों से छनकर आने वाली उस प्यारी सी चांदनी
को मेरा साया समझकर, उसमें खुद को तर बतर कर लेना चाहती है।
Tuesday, October 26, 2010
आज तो चांद है,
आज के चांद में कितने चेहरे है
जो तेरे है और मेरे है
देखने वाले तो अजीज है
हमारे दिल के करीब है
जिंदगी जिन के नाम है
सांसो पर भी उनका ही हक है
कहीं आंगन तो कहीं छत पर चढ़कर
चांद को देखती और अपना अपना मानकर बैठी
मेरी प्रेयसी,
छलनी के छेदों से छनकर आने वाली उस प्यारी सी चांदनी
को मेरा साया समझकर, उसमें खुद को तर बतर कर लेना चाहती है।
जो तेरे है और मेरे है
देखने वाले तो अजीज है
हमारे दिल के करीब है
जिंदगी जिन के नाम है
सांसो पर भी उनका ही हक है
कहीं आंगन तो कहीं छत पर चढ़कर
चांद को देखती और अपना अपना मानकर बैठी
मेरी प्रेयसी,
छलनी के छेदों से छनकर आने वाली उस प्यारी सी चांदनी
को मेरा साया समझकर, उसमें खुद को तर बतर कर लेना चाहती है।
आशा
नन्हीं सी ओस की एक बूंद जैसी आशा दिखाई दी है
उतनी ही साफ सुथरी, शांत और ऊर्जावान
मेरे तन मन धन को धैर्य दे रही है
सबसे बड़ी बात की मुझे मेरे होने का एहसास करा रही है
मैं जो कहीं खो गया था या जाने काल के कपाल में कुछ पल के लिए सो गया था
आज फिर ये ओस की बूंद, मेरे बंद नयनों को बैचेन कर गई है
कुलमुलाहट है मेरे अंदर, उत्सुकता है, वही सब कुछ है जो कि कुछ भी नया होने पर होता है।
उतनी ही साफ सुथरी, शांत और ऊर्जावान
मेरे तन मन धन को धैर्य दे रही है
सबसे बड़ी बात की मुझे मेरे होने का एहसास करा रही है
मैं जो कहीं खो गया था या जाने काल के कपाल में कुछ पल के लिए सो गया था
आज फिर ये ओस की बूंद, मेरे बंद नयनों को बैचेन कर गई है
कुलमुलाहट है मेरे अंदर, उत्सुकता है, वही सब कुछ है जो कि कुछ भी नया होने पर होता है।
Sunday, August 8, 2010
if you.......
if you want to learn than life is the best teacher and if you don't want to learn than you are the best teacher.
मेरे अंदर एक बंदर
अंदर और मेरे अंदर एक बंदर सा नाचता है। कभी इस दीवार पर तो कभी दूसरी पर, पता ही नहीं चलता की ये चाहता क्या है? कई बार पता भी करना चाहा तब भी कुछ हाथ नहीं लग पाता है। समझ में नहीं आता है कुछ भी और जब भी कुछ समझने की कोशिश की तो सिवाय उलझनों के कुछ भी तो नहीं पाया मैनें। जब भी एक दिशा में संगठित होकर सोचने की कोशिश करता हूं तो थोड़ी देर की बात और है परंतु ज्यादा देर तक कायम नहीं रह पाता हूं उस सोच पर। बहुत सोचने के बाद कभी कभी यह निष्कर्ष निकलता है कि सब कुछ उसी पर छोड़ दिया जाए जिसने यह सब दिया है परंतु फिर अगले ही पल लगता है कि यदि यह सब ही करना था तो हमारा विशालकाय शरीर और इसमें इतने सारे अस्त्र शस्त्र क्यों लगाए गए है?
बहरहाल सिवाय भटकाव के कुछ भी न तो दिखाई दे रहा है और न ही कुछ सूझ रहा है।
बहरहाल सिवाय भटकाव के कुछ भी न तो दिखाई दे रहा है और न ही कुछ सूझ रहा है।
Thursday, May 13, 2010
Wednesday, February 24, 2010
कुछ इस तरह से होली मनाएं।
लोगों के चेहरो पर रंग
घुलने लगा है फिजा में भी
बात साल भर की है
होगी मनाही भी कैसे,
टेसू की टहनियों पर कुछ नया और रंगीन सा है
फिजा में उड़ने वाले सारे कण भी तो
हरे, नीले, गुलाबी, पीले, गुलाबी और लाल से ही नजर आ रहे है
बच्चों के चेहरे और दूल्हों के शेहरों पर भी रंग है
रंगों के और भी तो रंग है
जो कि नई नवेली दुल्हनों की हथेलियों, और
दुनिया में आए नए नवेले मेहमानों के संग है,
रंग लगाए प्यार का और संग प्यार के
कोई न छूटे, न कोई बचे, यह फर्ज मान के
चेहरा किसी का भी रोजाना की तरह से न हो
यह मन में ठान के,
तन भी, मन भी और पॉकेट में रखा धन भी
हम भी, तुम भी, आप भी और जो घरों में छुपे है वो भी
सब एक साथ दिलों को रंगीन बनाएं
और हर आने जाने वाले पर इसको बरसाएं
कुछ इस तरह से होली मनाएं।
घुलने लगा है फिजा में भी
बात साल भर की है
होगी मनाही भी कैसे,
टेसू की टहनियों पर कुछ नया और रंगीन सा है
फिजा में उड़ने वाले सारे कण भी तो
हरे, नीले, गुलाबी, पीले, गुलाबी और लाल से ही नजर आ रहे है
बच्चों के चेहरे और दूल्हों के शेहरों पर भी रंग है
रंगों के और भी तो रंग है
जो कि नई नवेली दुल्हनों की हथेलियों, और
दुनिया में आए नए नवेले मेहमानों के संग है,
रंग लगाए प्यार का और संग प्यार के
कोई न छूटे, न कोई बचे, यह फर्ज मान के
चेहरा किसी का भी रोजाना की तरह से न हो
यह मन में ठान के,
तन भी, मन भी और पॉकेट में रखा धन भी
हम भी, तुम भी, आप भी और जो घरों में छुपे है वो भी
सब एक साथ दिलों को रंगीन बनाएं
और हर आने जाने वाले पर इसको बरसाएं
कुछ इस तरह से होली मनाएं।
Tuesday, February 23, 2010
मुलाकात की चाह ।
एक अंधेरी रात के अंधियारे से
तंहाई में मुलाकात की चाह है
कुछ मिला तो सही और न मिला
तो अपने से मिलने की राह है,
राह बहुत आसान
मगर भटकाव भी कम नहीं है
क्योंकि मन मेरा अटका हुआ तमाम चीजों में जो है
जब तक रौनक है और आस पास लोग है
तो पता नहीं चलता,
और जैसे ही अकेला होता हूं तो
डगमगा जाता हूं, थोड़ा कांप सा जाता हूं
इसलिए अपने आप से बचता हुआ और
स्वयं को तलाशता मैं
रात के अंधियारे से तंहाई में मुलाकात की चाह रखता हूं।
तंहाई में मुलाकात की चाह है
कुछ मिला तो सही और न मिला
तो अपने से मिलने की राह है,
राह बहुत आसान
मगर भटकाव भी कम नहीं है
क्योंकि मन मेरा अटका हुआ तमाम चीजों में जो है
जब तक रौनक है और आस पास लोग है
तो पता नहीं चलता,
और जैसे ही अकेला होता हूं तो
डगमगा जाता हूं, थोड़ा कांप सा जाता हूं
इसलिए अपने आप से बचता हुआ और
स्वयं को तलाशता मैं
रात के अंधियारे से तंहाई में मुलाकात की चाह रखता हूं।
Friday, February 19, 2010
मन ऐसा क्यों चाहता है?
परेशान होना कोई नई बात तो नहीं है,
पर नहीं होना चाहिए, बात तो ये भी सही है,
हालात कुछ ऐसे हो जाते है कि
कुछ भी नहीं सूझता
और हालचाल किसी के कोई नहीं पूछता
इसीलिए तो आज खालीपन सा चारों तरफ है
कोई मिलता ही नहीं अपने जैसा
लेकिन क्यों जरूरी है कि हर कोई अपने जैसा ही मिले
मिजाज दूसरा न मिले तो बात करने में मजा ही क्या
लेकिन फिर भी ये मन है कि चाहता है बस अपने जैसा
पर नहीं होना चाहिए, बात तो ये भी सही है,
हालात कुछ ऐसे हो जाते है कि
कुछ भी नहीं सूझता
और हालचाल किसी के कोई नहीं पूछता
इसीलिए तो आज खालीपन सा चारों तरफ है
कोई मिलता ही नहीं अपने जैसा
लेकिन क्यों जरूरी है कि हर कोई अपने जैसा ही मिले
मिजाज दूसरा न मिले तो बात करने में मजा ही क्या
लेकिन फिर भी ये मन है कि चाहता है बस अपने जैसा
Wednesday, February 3, 2010
हम तो हम हैं।
हम नींव के पत्थर है तराशे नहीं जाते
देखे नहीं जाते दिखाए नहीं जाते
हम जो देते है कोई दे नहीं दे सकता
हम जो सहते है कोई सह नहीं सकता
हम क्या है ये तो सब जानते है
लेकिन अहमियत हमारी कम ही जानते है
इस से ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं
जन्म भी हम है और जान भी।
देखे नहीं जाते दिखाए नहीं जाते
हम जो देते है कोई दे नहीं दे सकता
हम जो सहते है कोई सह नहीं सकता
हम क्या है ये तो सब जानते है
लेकिन अहमियत हमारी कम ही जानते है
इस से ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं
जन्म भी हम है और जान भी।
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