Wednesday, January 28, 2009

ऐसा क्‍यों हुआ

सब खुशी से झूमें

बाहों में बाहें डाल के

सब के आंसू सब पोंछे

अपना रूमाल निकाल के

हर चीज का जवाब

प्‍यार से हो न कि तकरार से

दुखी हो पड़ोस में कोई

तो नींद मुझे कैसे आए

दाना न हो सामने की थाली में

तो मुझे निवाला कैसे भाए

सबके अंदर यह एहसास कहीं मर सा गया है

इसलिए यह जहां लाशों से भर गया है

मुझे आदम कर जाता है

तेरी पायल की छम छम

वो तेरी चूड़ी की खन खन

तेरी बिंदिया की वो चमक

और सबसे बड़ा

तेरे आने का वो एहसास

मेरे पास

मेरे अंदर एक दम सा भर जाता है

और मुझे आदम कर जाता है

एक तेरा एहसास

एक छुवन

एक तड़पन

एक तेरा एहसास

वो संग संग बातों का प्रयास

जारी है आज भी

तेरे जाने के बाद

तू नहीं तो तेरी तस्वीर के ही साथ।

अपने आप

एक बात जोश की
संग थोड़े होश की
कुछ नया करने की
आँखों में ख्वाब भरने की
रचें बसे और समा जाएं
लहू बनके इन रगो में दौड़ें
कुछ हो कहीं भी कभी भी
मगर साथ न छोड़े
अटूट, अजर, अमर और अमिट
भावनाओं से जुड़कर
शिला पर लिखे कोई
अपना भी नाम प्‍यार से, सम्‍मान से।

Wednesday, January 7, 2009

इसकी सबसे यारी है

आज मेरे आंगन में
कौन है
और उसके संग कौन है?
क्यों छाया चारों ओर मौन है?
क्यों अंधेरा घनघोर है?
क्यों कोई आवाज मुझे सुनाई नहीं देती है
ऐसा क्या हो गया है
पता नहीं चल रहा है
क्या कोई मुझे बताएगा कि
उजियारा लेकर कौन आएगा
क्या किसी का इंतजार है
क्या सारे इंतजाम बेकार हुए है
कोई तो बता दो यार मेरे आंगन में कौन है

लगता है मेरे जाने की बारी है
ये तो भईया मौत है
जिससे सब की यारी है।
हर हाल में वादा निभाती है
सबको साथ लेकर जाती है।