Friday, February 21, 2014

परिवर्तन

माँ से बीवी तक
रेडियो से टीवी तक
रोटी से पिज़्ज़ा तक
ग्रामोफ़ोन से ऑनलाइन संगीत तक
नमस्ते से बाइ तक
घोड़े तांगे से मोटर गाड़ी तक
नुक्कड़ वाली नाई की दुकान से पार्लर तक
क़ाग़ज़ वाले दफ़्तर से लॅपटॉप वाले ऑफीस तक
कुएँ व नल के पानी से आरो वॉटर तक
कल्पनाओ के उरंखटोले से एरोप्लेन तक
सोच के आगे की योजनाओं तक
परिवर्तन ही तो साथ है और यही जीवन भी