Monday, August 31, 2009

ये दुनिया और हम, बहुत सारे सपने और मन में ट़ेर सारी उमंगें। ये उमंगों और सपनों का दौर ऐसा चलता है कि जिंदगी के बाद भी जारी रहता है। मजे की बात तो यह है कि सारी जिंदगी भी इन सभी को पूरा करने में लग जाती है और उससे भी ज्यादा मजे की बात यह है कि हमें पता भी नहीं, पते की बात तो छोड़िए जनाब, भनक भी तो नहीं पड़ती है।

ज्यादा ध्यान से देखने पर तो यह सब नुक्कड़ की दुकान पर रखी ए‌क इमरती जैसा ही लगता है। देखते ही जीभ से पानी टपकना शुरू, गोल गोल, खौलते हुए तेल में अपने आप को जलाकर दूर तक माहौल को खुशबू से सराबोर कर देना। उसका रंग, आकार और स्वाद, सब कुछ ही तो ऐसा कि बस

“उम्‍म्‍म्‍म्‍, उठालो और खालो”

लेकिन मेरा मुकद्दर

कि कभी इमरती तो कभी साधन नहीं

और कभी साधन तो इमरती नहीं

Thursday, August 20, 2009

जब कोई कुछ नहीं करता तो

वो मरता है,

धीरे धीरे या तेजी से

ये एक अलग बात है,

क्‍योंकि कुछ न करने का मतलब है निष्‍क्रिय हो जाना

जो कुछ ‌‌क्रिया ही नहीं कर रहा है

तो ---------- जीवन का क्‍या मतलब है

लेकिन सभी के जीवन में ऐसे मुकाम अक्‍सर आते रहते है

जैसा सुना है कि जीवन में हर चीज कुछ न कुछ सीखाती है

और निर्भर करता है ‌कि आप सीखना क्‍या चाहते हो

या कहें कि

किसी भी बात को कैसे लेते हो,

क्‍योंकि जहां एक को शून्‍य दिखता है

या कभी कभी वह भी नहीं दिखता

कोई दूसरा वहां से अनंत भंडार पाता है।

तो कुछ न करना भी एक बड़ा काम है,

अतः आप से निवेदन है कि कुछ दिनों के लिए

या कुछ समय के लिए कुछ मत किजिए

और ये आनंद भी लिजिए।
अब लग रहा है कि

मौसम बदल रहा है

पहले वाले बात नहीं रही

धूप में वो गर्मी तो है लेकिन

चिल‌चिलाहट नहीं है

बदन को कष्‍ट तो होता है

लेकिन उतना नहीं

और मजे की बात यह है

कि मौसम में एक अजीब सी

ठंडक सी महसूस होने लगी है।

ये ठंडक बहुत ही लंबे इंतजार के बाद नसीब हुई है

या कह सकते है‌ कि तकलीफ के तो चार दिन भी

पहाड़ से लगते है।

ठंड का यह एहसास

कम्‍बख्‍त बड़ा ही रूमानी है

अंदर से अपने आप ही सिर उठाता रहता है।

अंदर की फसल को लहलहाता है

और हिलोरें लेने देता है।

मदमस्‍त कर देता है और सारी परेशानियां

कुछ पल के ‌लिए ही सही परंतु

कहीं खो जाती है।

आज की नए आयाम छूती इस दुनिया में

जहां आदमी परेशानियां से बचने के लिए

इतने जतन करता है और फिर भी ------------------

तो आओं क्‍यों न हम कुदरत के इस तोहफे

का खुले दिल से इस्‍तकबाल करे।

दिल की गहराइयों से स्‍वागत किजिए

बसंत का और आगाज हो चुकी सर्दी का।