Saturday, April 11, 2015

हिन्दू न होता, मुस्लमान न होता
तो भगवान तेरा भी नाम न होता

न करता पूजा अर्चना कोई, न कोई सजदे में सिर को झुकाता


तू तो बड़ा शातिर और चालाक निकला
फंसा के हमे सब फंदो में खुद तो भाग निकला

जा के छुप गया है अमरनाथ की गुफाओं में और मक्के की गलियों में

लापता की तलाश मेरे बस में नहीं
भर तो लूँ मैं भी वो दम मगर मजा इस कश में नहीं

मेट्रो में लड़कियां कमाल करती है
हाथों में कंघा और कंघे में बाल करती है

और बाद में लगा लिपस्टिक होठ लाल करती है

नंबर अब आईने का आता है,
बता ए आईने मेरा रंग रूप कितनो को भाता है

नज़रें अपने कदरदानों की तरफ उठती है और सारे जवान लौंडों की नज़र झुकती है

सिलसिला जारी रहता है इन बालाओं की अदाओं का








Friday, February 21, 2014

परिवर्तन

माँ से बीवी तक
रेडियो से टीवी तक
रोटी से पिज़्ज़ा तक
ग्रामोफ़ोन से ऑनलाइन संगीत तक
नमस्ते से बाइ तक
घोड़े तांगे से मोटर गाड़ी तक
नुक्कड़ वाली नाई की दुकान से पार्लर तक
क़ाग़ज़ वाले दफ़्तर से लॅपटॉप वाले ऑफीस तक
कुएँ व नल के पानी से आरो वॉटर तक
कल्पनाओ के उरंखटोले से एरोप्लेन तक
सोच के आगे की योजनाओं तक
परिवर्तन ही तो साथ है और यही जीवन भी

Sunday, July 21, 2013

bachpan ke din tun tun tin tin fire hum yun hi barish me na chhata na pairon me chappal bus bhigne ka maja or masti hr sadak or ek ek basti
ladkiyon ka school jo mere school ke paas tha un dino bhigne ka kuch alag hi ehsaas tha

Wednesday, January 25, 2012

wish a very republic day to all, with a new hope.

Tuesday, October 26, 2010

आज तो चांद है,

आज के चांद में कितने चेहरे है
जो तेरे है और मेरे है
देखने वाले तो अजीज है
हमारे दिल के करीब है

जिंदगी जिन के नाम है
सांसो पर भी उनका ही हक है
कहीं आंगन तो कहीं छत पर चढ़कर
चांद को देखती और अपना अपना मानकर बैठी

मेरी प्रेयसी,

छलनी के छेदों से छनकर आने वाली उस प्‍यारी सी चांदनी
को मेरा साया समझकर, उसमें खुद को तर बतर कर लेना चाहती है।