एक बात जोश की
संग थोड़े होश की
कुछ नया करने की
आँखों में ख्वाब भरने की
रचें बसे और समा जाएं
लहू बनके इन रगो में दौड़ें
कुछ हो कहीं भी कभी भी
मगर साथ न छोड़े
अटूट, अजर, अमर और अमिट
भावनाओं से जुड़कर
शिला पर लिखे कोई
अपना भी नाम प्यार से, सम्मान से।
Wednesday, January 28, 2009
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