मंदी में मंदा है धंधा
सारा जमाना मांगे चंदा
कहां से दूं जब पास नहीं
मिलने की कोई आस नहीं
हालत और हालात
दोनों पे लग गई लात
सोच सोच के मैं तो हारा
अब कैसे होगा मेरा गुजारा
बात यहां तक तो ठीक थी भाई
आगे मुसीबत और गहराई
कमाई नहीं बस खर्चा है
काम मिलेगा, ऐसी केवल चर्चा है
इधर भटक उधर मटक
चप्पल, जूते गए चटक
पैरों के तलवे करते चड़ चड़
वक्त के कोड़े धड़ धड़ा धड़
ऐसे में कुछ भी नहीं सूझता
क्यों, कोई मुझसे नहीं पूछता
बिगड़े क्यों मेरे हाल है
इतनी फुर्सत किसके पास
अपनी मुफलिसी अपने साथ
Saturday, April 25, 2009
chuनाव में भागीदारी
उसी पुराने हाल से
आजादी का माहौल है
चुनाव का बजा जो ढ़ोल है
इंतजार के पांच बरस
टूट गई जंजीरे पुरानी
अभी है मौका, दोस्तों
रच लो नई कहानी
सब कुछ अपने हाथ है
सब कुछ अपने साथ है
अब जो नहीं करा वोट
पांच साल वही पुरानी चोट
वक्त है सोचने और समझने का
निर्णय सख्त लेने का
खुश हो तो ठीक है
नहीं, तो वक्त है तख्ता पलटने का
आजादी का माहौल है
चुनाव का बजा जो ढ़ोल है
इंतजार के पांच बरस
टूट गई जंजीरे पुरानी
अभी है मौका, दोस्तों
रच लो नई कहानी
सब कुछ अपने हाथ है
सब कुछ अपने साथ है
अब जो नहीं करा वोट
पांच साल वही पुरानी चोट
वक्त है सोचने और समझने का
निर्णय सख्त लेने का
खुश हो तो ठीक है
नहीं, तो वक्त है तख्ता पलटने का
Subscribe to:
Posts (Atom)