Tuesday, November 11, 2008

तेरी काली झोली में,
तेरी अंधियारी झोली में,
एक नन्हा सूरज चमकेगा,

बात चलेगी काम बनेंगे,
तेरे दुपके नाम बढ़ेंगे,
वो नया सवेरा तेरा होगा,
वो पूरा सूरज तेरा होगा,

तेरे सूरज का उजियारा,
सबको राह दिखाएगा,
अंधियारा दर दर भटकेगा,
लेकिन जगह न पाएगा,

हर लहर उठेगी तेरे हक में,
हवा चलेगी तेरे मत में,
आसमान के तारें भी,
तेरे ही आंगन में झांकेंगे,

इन चारों दिशाओं में,
फैली हुई फिजाओं में,
रंग भी तेरे राग भी तेरे
गीत भी तेरे साज भी तेरे,

सब पर हक तेरा ही होगा
रुख और दिशा भी तेरे होंगे
कांटे वाले रस्तों पे भी फूल खिलेंगे
सब आकर तुझसे ही मिलेंगे

चांद भी तेरा सूरज भी
ये गगन भी तेरा, जमीं भी
हम भी तेरे, रब तेरा
बस होने ही वाला है

तेरा, एक नया सवेरा